24-Jun-2023, Saturday
Sarve Bhavantu Sukhinaḥ
Modi Govt Implements Citizenship Law CAA Weeks before Lok Sabha Elections Lok Sabha elections: BJP, TDP reach seat-sharing deal in Andhra Pradesh Karnataka water crisis: DK Shivakumar says worst drought in four decades Doordarshan National channel to broadcast aarti from Ayodhya’s Ram Temple daily Supreme Court Dismisses WB Govt's Challenge To HC Ordering CBI Probe Into Sandeshkhali Violence, Expunges HC's Remarks Against Police India tests Agni-5 missile with MIRV tech, sends message to Pakistan & China Government issues rules for Citizenship (Amendment) Act, fast-tracking citizenship to non-Muslims from 3 countries. Critics link timing to upcoming elections. Noida Authority starts taking action against waste dumping in Hindon river Oscars 2024: Cillian Murphy accepts Academy Award for Best Actor in 'Oppenheimer' SBI Wanted 3 Months To Give Poll Bonds Info, Court Sets 24-Hour Deadline
Top News
Story Title
जो लोग नेशनलिज़म की यूरोपीय अवधारणा से अभिभूत हैं, उन्हें भारत की राष्ट्रीयता समझ में नहीं आती। ऐसा देश जिसे हजारों वर्ष पहले लिखे पुराणों में भी एक राष्ट्र माना गया है।
लंदन: क्या भारत एक राष्ट्र नहीं है…? भारत के विपक्षी गठबंधन इंडी अलायंस की सोच तो कुछ ऐसा ही दर्शाती है। गठबंधन के दो महत्वपूर्ण सदस्य कांग्रेस और द्रविड़ मुनेत्र कड़गम तो यही विचारधारा रखते हैं। बात 2022 की है जब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने केंब्रिज विश्वविद्यालय के छात्रों के साथ बातचीत में भारत को राज्यों का संघ के रूप में वर्णित किया। कांग्रेस नेता ने कहा कि “भारत एक राष्ट्र नहीं है, बल्कि राज्यों का एक संघ है।” इस पर कइयों ने आपत्ति जताई। उनसे इस पर सवाल काउंटर सवाल किए गए। आईआरटीएस एसोसिएशन के एक सिविल सेवक और कैम्ब्रिज में सार्वजनिक नीति के विद्वान सिद्धार्थ वर्मा ने राहुल गांधी को टोकते हुए कहा कि भारत राज्यों का संघ नहीं बल्कि राष्ट्र है। हालांकि राहुल गांधी अपनी बात पर अड़े रहे। जिसपर वर्मा ने कहा कि आपका विचार न केवल त्रुटिपूर्ण और गलत है, बल्कि विनाशकारी भी है।
सोशल मीडिया में वायरल एक वीडियों में द्रविड़ मुनेत्र कड़गम के नेता और सांसद ए. राजा, जो कभी 2-जी टेलिफ़ोन घोटाले में फंस गये थे, एक वीडियो में पार्टी द्वारा आयोजित एक बैठक को संबोधित करते हुए दिख रहे हैं, जिसमें वह कथित रूप से कहते हैं, “भारत एक राष्ट्र नहीं है। इस बात को अच्छे से समझ लें। भारत कभी एक राष्ट्र नहीं रहा। एक राष्ट्र एक भाषा, एक परंपरा और एक संस्कृति को दर्शाता है और ऐसी विशेषताएं ही एक राष्ट्र का निर्माण करती हैं।” राजा ने यह भी दावा किया कि भारत एक राष्ट्र नहीं बल्कि एक उपमहाद्वीप है।
उन्होंने कहा, “क्या कारण है? यहां तमिल एक राष्ट्र और एक देश है। मलयालम एक भाषा, एक राष्ट्र और एक देश है। उड़िया एक राष्ट्र, एक भाषा और एक देश है। ऐसी सभी राष्ट्रीय श्रेणियां भारत का निर्माण करती हैं। तो, भारत एक देश नहीं है, यह एक उपमहाद्वीप है जिसमें विभिन्न प्रथाएं, परंपराएं और संस्कृतियां हैं।”
राजा ने आगे कहा, “तमिलनाडु में एक संस्कृति है और केरल में दूसरी संस्कृति है। वैसे ही दिल्ली में एक संस्कृति है… ओडिशा में, एक और संस्कृति है। मणिपुर में कुत्ते का मांस खाया जाता है, जो एक सांस्कृतिक पहलू है। कश्मीर में एक संस्कृति है। हर संस्कृति को मान्यता देगी होगी।” उन्होंने कहा, “अगर कोई समुदाय बीफ़ खाता है तो उसे मानिए, आपकी समस्या क्या है? क्या उन्होंने आपसे खाने के लिए कहा? यही विविधता में एकता है। हमारे बीच अंतर हैं और इसे स्वीकार करना होगा।”
इस बैठक में डीएमके नेता ए. राजा ने तमिल में दिए भाषण में भगवान राम के प्रति जहर उगला है। उन्होंने कहा, “यदि आप कहते हैं कि यह भगवान है। यदि यह आपका जय श्री राम है, यदि यह आपका भारत माता की जय है, तो हम कभी ऐसा स्वीकार नहीं करेंगे। तमिलनाडु स्वीकार नहीं करेगा। जाओ और कहो, हम राम के शत्रु हैं। मुझे रामायण में आस्था नहीं है और भगवान राम में भी नहीं। यदि आप कहते हैं कि रामायण मानवीय सद्भाव का नमूना है, जहां चार भाई के रूप में पैदा होते हैं, एक कुरवार भाई के रूप में होते हैं, एक शिकारी भाई के रूप में होते हैं, एक बंदर भाई के रूप में होते हैं, एक और बंदर छठा भाई है, तो आपका जय श्री राम … है आख थू!… मूर्खो!’
अपने असफल केंब्रिज दौरे से लौटे राहुल गान्धी एक बार फिर अपने पुराने तौर तरीकों पर वापिस आ गये। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष की भारत जोड़ो न्याय यात्रा 5 मार्च को मध्य प्रदेश के शाजापुर पहुंची। इस दौरान यहां उनकी नुक्कड़ सभा भी हुई। इस सभा में राहुल गांधी ने कहा कि देश के युवा चीन के बने मोबाइल में व्यस्त हैं। वे दिन में सात-सात घंटे रील देखने में लगे हुए हैं। में चाहता हूं कि हमारे युवा 15 मिनट रील देखें। जिस मोबाइल को वे इस्तेमाल कर रहे हों उन पर मेड इन मध्य प्रदेश लिखा हो। राहुल गांधी ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा, ‘जबकि मोदी जी चाहते हैं कि आप दिन भर मोबाइल पर रहो, जय श्री राम बोलो और भूखे मर जाओ।’
जब हम अपने संविधान पर नज़र डालते हैं तो पाते हैं कि यह बात बिल्कुल सही है कि संविधान में भारत को राष्ट्र के तौर पर वर्णित नहीं किया गया है। संविधान के अनुच्छेद-1 में भारत को ‘यूनियन ऑफ स्टेट्स’ यानी ‘राज्यों का संघ’ बताया गया है। हालांकि, इसके संविधान को प्रकृति में संघीय बताया गया है। संविधान निर्माता डॉ. बी. आर. अंबेडकर के अनुसार, ‘फेडरेशन ऑफ स्टेट्स’ के बजाय ‘यूनियन ऑफ स्टेट्स’ को रखने की दो अहम वजहें हैं। पहला, इंडियन फेडरेशन यानी भारतीय संघ अमेरिकी फेडरेशन की तरह राज्यों के बीच एग्रीमेंट का नतीजा नहीं है। दूसरा, राज्यों को फेडरेशन से अलग होने का कोई अधिकार नहीं है। फेडरेशन एक यूनियन है क्योंकि यह तितर-बितर नहीं हो सकता है।
जो लोग नेशनलिज़म की यूरोपीय अवधारणा से अभिभूत हैं, उन्हें भारत की राष्ट्रीयता समझ में नहीं आती। ऐसा देश जिसे हजारों वर्ष पहले लिखे पुराणों में भी एक राष्ट्र माना गया है, जहां विभिन्न भाषाओं, रीति-रिवाजों, जात-बिरादरियों, पूजा पद्धतियों के बावजूद एक एकात्मता का भाव है, जहां हजारों वर्षों से लोग देश की चारों दिशाओं में तीर्थों के लिए जाते हैं, जहां विभिन्न स्थानों पर अलग-अलग राज्य व्यवस्था होते हुए भी एक राष्ट्रीय विचार हमेशा उपस्थित रहा है, उसे वे राष्ट्र मानने के लिए तैयार नहीं हैं। उनको ऐसा लगता है कि ब्रिटिश शासन आने के बाद ही देश में एक राज्य व्यवस्था लागू हो सकी, इसलिए भारत को एक राष्ट्र बनाने के लिए ब्रिटिश शासन ही जिम्मेवार है।
फ़्रांस की आधिकारिक भाषा फ़्रेंच है, किन्तु वहां अब भी 75 अन्य क्षेत्रीय भाषाएं बोली जाती हैं। जो लोग भाषाई आधार पर भारत को अलग-अलग राष्ट्र के रूप में देखते हैं, क्या वे इस आधार पर वर्तमान फ़्रांस को 75 देशों का समूह मान पाएंगे। मध्य यूरोप के 39 राज्यों को मिलाकर 18 जनवरी, 1871 को जर्मनी का एकीकरण किया गया था। 19वीं सदी में एक राजनीतिक और सामाजिक अभियान ने विभिन्न राज्यों को संगठित कर के 1870-71 में इटली का एकीकरण किया गया था। यह सब संचार-परिवहन क्रांति के बिना असंभव था। इन यूरोपीय देशों की राजनीति भी विविध है, किन्तु ‘राष्ट्रीयता’ पर और अपनी ‘पहचान’ को लेकर सभी एकमत हैं।
चीन की स्थिति भी हमें समझनी होगी। वहां 5 प्रमुख तो 20 अधिक छोटे मज़हब हैं। इसके साथ ही साथ चीन में 13 से अधिक अस्पष्ट भाषाएं बोली जाती हैं। क्या चीन में मंदारिन भाषा का अन्य भाषाओं के साथ वैसा टकराव दिखता है जैसा अकसर भारत में हिन्दी-संस्कृत का तमिल, कन्नड़ आदि भाषाओं को लेकर बनाया जाता है। वर्ष 1948-49 से चीन सरकार ने राष्ट्र को शक्तिशाली बनाने हेतु देश की अन्य पहचानों के साथ-साथ ‘राष्ट्रीयता’ और राष्ट्रीय पहचान को सुदृढ़ करने का काम भी किया है।
जहां तक क्षेत्रफल का सवाल है रूस, अमरीका, कनाडा, चीन और आस्ट्रेलिया भारत से काफ़ी बड़े हैं। इसलिये यह कहना कि भारत एक उप-महाद्वीप है इसलिये देश नहीं है कोई मायने नहीं रखता। यह सोच ही ग़लत है कि भारत को एक देश या राष्ट्र अंग्रेज़ों ने बनाया। भारत केवल एक भौगोलिक राष्ट्र नहीं था। यहां की आत्मा एक थी, सोच एक थी, धर्म एक था और मिट्टी एक थी। स्वतंत्रता के बाद एक ख़ास राजनीतिक सोच ने यह भ्रम फैलाने का प्रयास किया है कि भारत अंग्रेज़ों से पहले देशों का समूह था और अंग्रेज़ों ने उसे एक राष्ट्र में परिवर्तित कर दिया। तमाम असहमतियों एवं अनेकता के बावजूद हम एक राष्ट्र थे, हैं और रहेंगे।
लेखक लंदन निवासी वरिष्ठ साहित्यकार, कथा यूके के महासचिव और पुरवाई के संपादक हैं.