24-Jun-2023, Saturday
Sarve Bhavantu Sukhinaḥ
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Husband Funeral
एक महिला ने तो रह्स्योद्घाटन करते हुए बताया कि उसके पति का अंतिम संस्कार 8 महीने पहले हो चुका था मगर उसका शव अभी भी फ़्रीज़र में सड़ रहा है। वह जिसे अपने पति की ऱाख समझ रही, वो किस अजनबी की हैI
लंदन: मेरी कहानियों में मृत्यु किसी न किसी रूप में अवश्य दिखाई दे जाती है। मेरे कहानी संग्रह ‘मृत्यु के इन्द्रधनुष’ तो मेरी चौबीस कहानियां सग्रहीत की गई हैं जिनके केन्द्र बिन्दु में मृत्यु ही है। दरअसल मृत्यु कहीं न कहीं से दबे पाँव मेरे लेखकीय दरवाज़े पर दस्तक देती ही रहती है और मेरी क़लम उसके बारे में लिखने के लिये मजबूर हो जाती है। हर समाचारपत्र में, टीवी चैनल में सी.ए.ए. पर इतनी अधिक बहस हो चुकी है कि हम शायद इस विषय पर कुछ भी ओरिजिनल लिख पाने में सफल न हो पाते। और हम नहीं चाहते थे कि रटी रटाई बातें आपके सामने परोस दें। इसलिये सोचा कि आपको कुछ नया दिया जाए। भारत में हस्पताल और डॉक्टरों के बारे में समय-समय पर पढ़ने को मिलता रहता है कि वे किस तरह मौत को लेकर भी पूरी तरह से कठोर हृद्य हो जाते हैं और मरीज़ के परिवार वालों को लूटने में ज़रा भी परहेज़ नहीं करते। पश्चिमी देशों के बारे में हमारे दिलों में कुछ ग़लतफ़हमियां बनी रहती हैं कि यहां के लोग इस मामले में बेहतर होते हैं। मगर हाल ही की एक घटना ने हर पाठक के दिल को हिलाकर रख दिया है।
ब्रिटेन में बर्मिंघम के निकट एक इलाक़ा है ‘हल’। हंबर नदी के किनारे बसे इस छोटे शहर का नाम अचानक सुर्ख़ियों में उछल आया जब वहां की एक अंतिम संस्कार करने वाली कंपनी ‘लेगेसी’ – Legacy Independent Funeral Directors के बारे में यह बात निकल कर सामने आई कि वे अंतिम संस्कार के समय लाशें जलाने में अनियमितताएं बरत रहे हैं। 46 वर्षीय रॉबर्ट बुश और उनकी 23 वर्षीय पुत्री सास्कया इस कंपनी के सर्वे-सर्वा हैं। कंपनी पिछले दो वर्षों से वित्तीय समस्याओं से जूझ रही है। पिता-पुत्री दोनों पर आरोप है कि उन्होंने अपने ग्राहकों के साथ धोखाधड़ी करते हुए मृत्कों को पारंपरिक अंतिम संस्कार मुहैय्या नहीं करवाया। जब पुलिस ने उनके कार्यालय पर छापा मारा और पीछे का दरवाज़ा खोला तो मृत शरीरों की सड़ांध ने उन्हें सांस रोकने पर मजबूर कर दिया। पुलिस को वहां 35 शव मिले जिनमें से बहुत से तो फ़्रीज़र में भी नहीं रखे गये थे। शव वहां सड़ रहे थे और उनके रिश्तेदार यह समझ रहे थे कि उनके परिजनों की अंत्येष्ठी हो चुकी है और उन्हें न जाने किस-किस की राख और अस्थियां हवाले कर दी गई थीं। रिश्तेदारों को यह भी नहीं पता था कि जिस ताबूत को वे चूम रहे हैं, दरअसल वो भीतर से ख़ाली है। पिता पुत्री दोनों को धोखाधड़ी और वैध और पारंपरिक अंत्येष्टि की राह में रोड़ा अटाकने के संदेह में गिरफ्तार किया गया था बाद में और जमानत पर रिहा भी कर दिया गया है।
अभी तक यह साफ़ नहीं हुआ है कि यह केवल बदइंतज़ामी है या इसके पीछे राबर्ट और उसकी बेटी की कोई और मंशा थी। पुलिस इस मामले में तहकीकात कर रही है। सच तो यह है कि कंपनी के पास बड़े-बड़े काले घोडों वाली बग्गी है जिसमें ताबूत ले जाने की व्यवस्था है। कई मृतकों के परिवार यह मान कर चल रहे थे कि उनके प्रियजनों का अंतिम संस्कार ‘हल’ शहर की लिगेसी इंडिपेंडेंट फ्यूनरल डायरेक्टर्स ने सही ढंग से कर दिया है। अब उन्हें यह डर सता रहा है कि दाह संस्कार कभी हुआ भी था या नहीं… क्योंकि गुप्तचरों ने कम से कम एक परिवार को यह बता दिया है कि उनके रिश्तेदार का शव अभी भी फ्यूनरल एजेंट के गोदाम पर है – अंतिम संस्कार के सात सप्ताह बाद भी। वैसे पुलिस उस राख और अस्थियों का डीएनए टेस्ट भी करवा रही है जो कि रिश्तेदारों को सौंपी गई है ताकि पता लगाया जा सके कि क्या राख सही मुर्दे की है या नहीं।
हंबरसाइड पुलिस के अनुसार यह घटना “वास्तव में भयावह घटना” है। इसे घटना को पूरी तरह से अमानवीय कहा जा रहा है। पुलिस ने कंपनी से संबंधित दो अन्य पार्लरों पर भी छापा मारा – एक हल में और दूसरा आठ मील दूर बेवर्ली में। पुलिस को लगभग एक हज़ार से अधिक शोक संतप्त रिश्तेदारों से फ़ोन कॉल कॉल प्राप्त हुए हैं। इन सबको यह डर है कि लिगेसी कंपनी की हरकत से वे प्रभावित हो सकते हैं। एक महिला ने खुलासा किया है कि उसे लगता है कि उसने अपने पिता के अंतिम संस्कार में एक खाली ताबूत को चूमा था। हल की तीन बच्चों की मां बिली-जो सफिल ने कहा कि अपने पिता की राख नहीं मिलने के बाद वह “शारीरिक रूप से बीमार” महसूस कर रही थीं। 33 वर्षीय ने जुलाई 2022 में 52 वर्षीय एंड्रयू सफ़िल को खो दिया, और उसके पांच दिन बाद 34 वर्षीय उसके भाई ड्वेन सफ़िल को खो दिया। पुलिस ने बताया है कि उनके 120 अफ़सर इस केस के लिये काम पर लगा दिये गये हैं। इससे पता चलता है कि मामला कितना पेचीदा है। पुलिस इस मामले को बहुत गंभीरता से ले रही है क्योंकि किसी भी धर्म में अंतिम संस्कार का बहुत महत्व होता है।
यह सब किसी हॉरर फ़िल्म से कम डरावना नहीं है। सवाल यह भी उठता है कि कि क्या केवल 35 शव ही सड़ रहे हैं या इनकी गिनती कहीं अधिक है। एक महिला ने तो रह्स्योद्घाटन करते हुए बताया कि उसके पति का अंतिम संस्कार 8 महीने पहले हो चुका था मगर उसका शव अभी भी फ़्रीज़र में सड़ रहा है। उसे समझ नहीं आ रही कि आजतक वह जिसे अपने पति की ऱाख समझ रही थी, वो किस अजनबी की है… वो अजनबी औरत थी या मर्द ! उसने तो अपने पति की राख से क्रिस्टल ज्यूलरी बनवा ली थी। और उसका पति चौंतीस अन्य शवों के साथ लिगेसी के फ़्रीज़र में सड़ रहा है। जब हम अपने प्रियजनों का अंतिम संस्कार करते हैं, तो कहीं मन में यह भावना होती है कि हम उनकी आत्मी की शांति के लिये जो भी संभव है वो कर रहे हैं। यदि रॉबर्ट बुश या सांस्कया जैसे फ़्यूनरल डायरेक्टर हमारे नसीब में आ खड़े हों तो हम श्राद्ध तक तो कभी पहुंच ही नहीं सकते। लेखक लंदन निवासी वरिष्ठ साहित्यकार, कथा यूके के महासचिव और पुरवाई के संपादक हैं.