24-Jun-2023, Saturday
Sarve Bhavantu Sukhinaḥ
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CORRUPT ELECTION
पाकिस्तान में रावलपिंडी के कमिश्नर लियाकत अली ने आम चुनावों में धांधली के आरोप हैं और भारत के चंडीगढ़ में मेयर के चुनाव में रिटर्निंग ऑफ़ीसर अनिल मसीह गड़बड़ी की है।
लंदन: इस वक्त दो वीडियो ख़ासे वायरल हैं। एक वीडियो पाकिस्तान से है जिसमें रावलपिंडी के कमिश्नर लियाकत अली चट्टा ने आम चुनावों में धांधली के आरोप लगाए हैं और दूसरा वीडियो भारत के शहर चंडीगढ़ से है जिसमें मेयर के चुनाव में रिटर्निंग ऑफ़ीसर अनिल मसीह गड़बड़ी की है। उन्होंने आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के साझा उम्मीदवार को हरा कर भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार को विजयी घोषित किया था।
यानी कि चाहे हम सरहद के इस पार रहें या उस पार, धांधली हमारे चरित्र में शामिल है। कम से कम पाकिस्तान में रावलपिंडी के कमिश्नर लियाकत अली चट्टा की आत्मा अभी तक पूरी तरह मरी नहीं और उन्होंने अपना अपराध स्वीकार करते हुए अपने पद से त्यागपत्र दे दिया। उन्होंने इस धांधली में मुख्य चुनाव आयुक्त और मुख्य न्यायाधीश को भी शामिल बताया। इतना ही नहीं लियाकत ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि उन्हें इस अपराध के लिये चौक पर सजा ए मौत मिलनी चाहिए। साथ ही उन्होंने यही सज़ा मुख्य चुनाव आयुक्त एवं मुख्य न्यायाधीश के लिये भी मांगी। पुलिस ने उन्हें गिरफ़्तार कर लिया है।
सब को हैरानी हो रही थी कि जेल में होने के बावजूद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान लोगों के बीच किस हद तक लोकप्रिय हैं। दरअसल मुझे सुबह की शिफ़्ट के लिये कंपनी टैक्सी सेवा उपलब्ध करवाती है। अधिकांश टैक्सी ड्राइवर पाकिस्तानी मूल के हैं। रास्ते भर वे नवाज़ शरीफ़ की बुराई और इमरान ख़ान की बढ़ाई करते हैं। मैं क्योंकि इमरान का प्रशंसक नहीं हूं… मुझे हैरानी अवश्य होती। इस बार तो सेना ने कमाल ही कर दिया। इमरान के राजनीतिक दल को हराने के लिये उसकी पार्टी का चुनाव चिन्ह ही ख़ारिज कर दिया। इमरान के हर उम्मीदवार को अलग-अलग चुनाव चिन्ह मिला था।
इस त्यागपत्र और गिरफ़्तारी की घटना के बाद पाकिस्तान में हड़कंप मच गया है। जेल में बंद पूर्व प्रधान मंत्री इमरान खान तो शुरू से ही पाकिस्तान चुनाव में धांधली का आरोप लगाते रहे हैं। और इस आत्मस्वीकृति के बाद तो ये आरोप सच भी लग रहे हैं। कमिश्नर लियाकत अली चिट्टा ने अपना इस्तीफा देते हुए कहा कि उन्होंने रावलपिंडी डिवीजन के लोगों के साथ अन्याय किया है। उन्होंने स्वीकार किया कि रावलपिंडी डिवीजन में “धांधली” हुई और इसके लिए वह जिम्मेदार हैं। उन्होंने दावा किया, ”हमने हारे हुए लोगों को 50,000 वोटों के अंतर से विजेता बना दिया.” और खुद को पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया।
लियाकत अली ने कहा, ”मैं अपने डिवीजन के रिटर्निंग अधिकारियों से माफी मांगता हूं।” उन्होंने कहा कि उनके अधीनस्थ इस बात को लेकर रो रहे थे कि उन्हें क्या करने का निर्देश दिया गया था। चट्ठा ने दावा किया कि आज भी चुनाव कर्मचारी मतपत्रों पर फर्जी मोहर लगा रहे हैं। उन्होंने अफसोस जताते हुए कहा, “हमने देश के साथ अन्याय किया… अब यह कह पाना कठिन है कि लियाकत अली चिट्टा के साथ फ़ौज कैसा बर्ताव करेगी। हो सकता है कि जल्दी ही हमें उनकी आत्महत्या का समाचार मिल जाए।
पाकिस्तान के कार्यवाहक सूचना मंत्री अमीर मीर ने कहा कि यह न तो कोई रहस्योद्घाटन है और न ही अपराध की स्वीकारोक्ति, बल्कि यह चुनाव की विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचाने का दावा और आरोप है। उन्होंने कहा कि वह चट्टा के आरोपों को सिरे से खारिज करते हैं। मीर ने कहा कि आत्महत्या की बात करने वाला व्यक्ति मनोरोगी ही हो सकता है, उन्होंने बताया कि चट्टा 13 मार्च को रिटायरमेंट की ओर बढ़ रहे थे। “अपने रिटायरमेंट से कुछ हफ्ते पहले वह राजनीतिक स्टंट कर रहे हैं। मुझे लगता है कि वह राजनीतिक करियर बनाना चाहते हैं।” मगर इसके अलावा वे कह भी क्या सकते हैं।
जहां पाकिस्तान में मामला राष्ट्रीय चुनावों को लेकर था वहीं भारत वाला मामला तो चंडीगढ़ जैसी यूनियन टेरेटरी की नगर निगम के मेयर के चुनाव का है। सोचने की बात यह है कि इस चुनाव के जीतने या हारने से राष्ट्रीय स्तर की राजनीति पर क्या असर पड़ने वाला है।
इस विषय पर बात करने से पहले हमें यह जान लेना आवश्यक है कि आख़िर अनिल मसीह है कौन। 53 वर्ष के अनिल मसीह कुछ वर्ष पूर्व ही भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए थे। वे भाजपा के अलंपसंख्यक मोर्चे से जुड़े हैं। वर्ष 2021 में चंडीगढ़ नगर निगम के चुनाव के दौरान वार्ड-13 से भाजपा से उन्हें टिकट की उम्मीद थी, मगर ये हो न सका। अगले ही साल यानी 2022 में भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें चंडीगढ़ा नगर निगम के लिये मनोनीत किया था। मसीह चंड़ीगढ़ नगर निगम के उन नौ पार्षदों में से एक हैं जिन्हें मनोनीत किया गया है।
अनिल मसीह चंडीगढ़ मेयर चुनाव में गड़बड़ी करने से पहले भी विवादों में रहे है। उन पर चर्च में अभद्र भाषा के प्रयोग का आरोप भी लगा था। इससे पहले साल 2021 में ही भारतीय जनता पार्टी ने मसीह को अल्पसंख्यक मोर्चा का महासचिव नियुक्त कर दिया था। बाद में मेयर चुनाव के बाद विवादों में आने के कारण बीजेपी ने मसीह को पद से हटा दिया था।
सबसे महत्वपूर्ण सवाल यह उठता है कि अनिल मसीह ने यह कुकृत्य किसके कहने पर किया? क्या उस पर किसी तरह का दबाव था या फिर वह अपनी ओर से अपने आकाओं को प्रसन्न करने का प्रयास कर रहा था? यह तो संभव नहीं कि उसे मालूम न हो कि उसकी कारगुज़ारी सीसीटीवी कैमरे में कैद हो रही है। फिर ऐसी क्या मजबूरी थी जो उसने आठ बेलट पेपरों पर निशान लगा कर उन्हें अवैध क़रार दे दिया। यह तो संभव नहीं कि उसे यह नहीं पता होगा कि आम आदमी पार्टी और कांग्रेस पार्टी आसमान सिर पर उठा लेंगे।… और फिर क्यों ना उठाएं?
30 जनवरी को चंडीगढ़ महापौर के चुनाव में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के साझा उम्मीदवार कुलदीप कुमार को कुल बीस वोट मिले थे। अनिल मसीह ने आठ वोटों को अमान्य करार दिया और भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी को विजयी घोषित कर दिया। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया। मुख्य न्यायाधीष डी. वाई. चन्द्रचूड़ ने मामले की गंभीरता को समझते हुए कठोर निर्णय सुनाया।
मुख्य न्यायाधीश ने आदेश सुनाते हुए कहा कि अनिल मसीह ने जानबूझकर आम आदमी पार्टी के पक्ष में पड़े आठ मतपत्रों से छेड़छाड़ करने की कोशिश की थी। उन्होंने अपने आदेश में कहा, ‘यह स्पष्ट है कि अनिल मसीह ने पीठासीन अधिकारी के रूप में अपनी भूमिका और क्षमता में जो किया वह गंभीर कदाचार के दोषी हैं।’
बेंच ने अदालत के समक्ष गलत बयान देने के लिए मसीह के खिलाफ सीआरपीसी की धारा 340 के तहत कार्रवाई भी शुरू की है। अदालत ने पाया कि गलत बयान देने के लिए चुनाव अधिकारी के खिलाफ सीआरपीसी की धारा 340 के तहत एक उपयुक्त मामला बनता है। रजिस्ट्रार ज्यूडिशियल को निर्देश दिया गया है कि वह अनिल मसीह को नोटिस जारी कर बताएं कि क्यों न उनके खिलाफ सीआरपीसी की धारा 340 के तहत कार्रवाई शुरू की जाए।
उच्चतम न्यायालय का कहना है कि पीठासीन अधिकारी का बयान दर्ज करने से पहले उसने मसीह को गंभीर परिणामों के बारे में नोटिस दिया था। अदालत ने कहा था कि मसीह इस अदालत के समक्ष दिए गए गलत बयान के लिए उत्तरदायी होंगे।न्यायालय ने दो कृत्यों के लिए पीठासीन अधिकारी की निंदा की है। कोर्ट के अनुसार मसीह ने मेयर चुनाव के नतीजे को गैरकानूनी रूप से बदल दिया और 19 फरवरी को इस न्यायालय के सामने झूठा बयान दिया जिसके लिए उन्हें दोषी ठहराया जाना चाहिए।
पाठक जानना चाहेंगे कि आख़िर धारा 340 होती क्या है और किस पर लगाई जाती है। तो हम बताना चाहेंगे कि धारा 340 के अंतर्गत किसी मामले के पक्ष सबूतों को बाधित करने या झूठा बयान देकर अदालत का समय बरबाद करना और न्याय में देरी करने पर, कार्रवाई होती है। इसके तहत अगर कोई सबूतों के साथ छेड़छाड़ करता है या नुकसान पहुंचाता है या फिर ग़लत बयान देकर न्याय की स्थिति को मोड़ने का प्रयास करता है; तो उसके तहत आरोपी पर सीआरपीसी की धारा 340 के तहत कार्रवाई की जाती है।
अदालत धारा 340 को उस व्यक्ति पर लगाती है जो कानूनी काम में बाधा डालने की कोशिश करता है। इसके चलते अदालत की अवमानना और न्याय में देरी को लेकर आरोपी पर ये धारा लगाई जाती है।
इस बात पर जांच बिठाई जानी चाहिये के अनिल मसीह के पीछे कौन है। उस शख़्सियत का नाम उजागर होना बहुत ज़रूरी है। हालांकि यह मामला बहुत स्थानीय किस्म का है मगर चुनावी वर्ष में कोई भी घटना कब कैसा रूप धारण करले कुछ पता नहीं चलता। भारतीय जनता पार्टी को एक राजनीतिक दल के तौर पर और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को एकछत्र नेता के रूप में अपनी छवि को साफ़ सुथरा बनाए रखने का पूरा प्रयास करना चाहिये। जो भी लोग अनिल मसीह के पीछे हैं उनके कारनामों को आम जनता के सामने लाना बहुत ज़रूरी है। अच्छे लोकतंत्र में ऐसी घटनाओं के लिये कोई स्थान नहीं है।
लेखक लंदन निवासी वरिष्ठ साहित्यकार, कथा यूके के महासचिव और पुरवाई के संपादक हैं.