24-Jun-2023, Saturday
Sarve Bhavantu Sukhinaḥ
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PAKISTAN HINDU
दोनों देशो में चल रहे तनाव के चलते, 2011 से 2016 तक, अटारी-वाघा संयुक्त चेक पोस्ट के माध्यम से केवल 295 पाकिस्तानी हिंदुओं की राख भारत लायी गई थी। पाकिस्तान में 22 लाख से अधिक हिंदू रहते हैंI
लंदन: भारत में जब नागरिकता संशोधन कानून संसद द्वारा पास किया गया तो तमाम विपक्षी दलों ने इसके विरोध में बयान जारी किये। जावेद अख़्तर जैसे सुलझे हुए इन्सान ने भी इसे मुसलमानी नज़रिये से देखा। ममता बनर्जी ने तो भाजपा सरकार के विरुद्ध मोर्चा ही संभाल लिया। मगर राजनीति से हट कर भी इस विषय पर सोचने की आवश्यकता है।
मगर यहां भी एक पेंच है। कुछ देश ऐसे हैं जहां से भारत आने के लिये वीज़ा की आवश्यकता नहीं होती मगर अधिकांश देशों के नागरिकों को भारत आने के लिये वीज़ा लेना पड़ता है। दरअसल पाकिस्तान और भारत के रिश्तों में हमेशा ही तनाव बना रहता है। इसलिये किसी भी पाकिस्तानी नागरिक को तब तक भारत का वीज़ा नहीं मिल पाता जब तक उसे कोई भारतीय नागरिक स्पॉन्सर ना करे। इसके बावजूद आसानी से वीज़ा नहीं मिल पाता।
पाकिस्तान के राष्ट्रीय डेटाबेस और पंजीकरण प्राधिकरण (एनएडीआरए) के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, पाकिस्तान में 22 लाख से अधिक हिंदू रहते हैं जो इस्लामिक राष्ट्र की आबादी का लगभग 1.18 प्रतिशत है। स्वतन्त्रता के समय पाकिस्तान की आबादी का लगभग 23% हिंदू थे। इनमें से अधिकांश 95 प्रतिशत सिंध में रहते हैं। यहां जब अंतिम संस्कार किया जाता है तो अस्थियां मंदिरों या श्मशान घाट में ही सुरक्षित रख दी जाती हैं। इसलिए विसर्जन की प्रतीक्षा कर रही अधिकांश अस्थियां वहीं से हैं। दोनों देशो में चल रहे तनाव के चलते, 2011 से 2016 तक, अटारी-वाघा संयुक्त चेक पोस्ट के माध्यम से केवल 295 पाकिस्तानी हिंदुओं की राख भारत लायी गई थी।
पाकिस्तान के एक समाचार पत्र ‘एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ की रिपोर्ट में कहा गया है कि हिंदू समाज अपने मृतकों की अस्थियों को गंगा में विसर्जित करने को बेहद महत्व देता है। समुदाय के सदस्यों में अस्थियों को भारतीय शहर हरिद्वार में गंगा में विसर्जित करने की परंपरा रही है। (यह समाचार पाकिस्तान के लोगों के लिये था)।
भारत के राजनीतिक दलों को एक बात अवश्य याद रखनी होगी कि देश में सरकार किसी भी पार्टी की हो; चुनाव जीतने के लिये वोट बैंक की राजनीति कितनी भी करनी पड़े; चाहे राम को काल्पनिक मानें और राम लल्ला के मंदिर श्रद्धा प्रकट करने न जाएं, हिन्दुओं, सिखों और जैनियों के लिये तीर्थ स्थान केवल भारत ही है। हिंदू चाहे दुनिया के किसी भी देश में क्यों न रहता हो उसे अपनी अस्थियां गंगा जी में बहाए बिना चैन नहीं मिलने वाला। उसकी आत्मा और उसके परिवार वाले सदा बेचैन रहेंगे। हर बात को राजनीति के तराज़ू पर न तोल कर कभी-कभी भावनाओं को समझना भी ज़रूरी होता है।
लेखक लंदन निवासी वरिष्ठ साहित्यकार, कथा यूके के महासचिव और पुरवाई के संपादक हैं.